tag:blogger.com,1999:blog-4795630986430691883.post258989389512715923..comments2022-10-29T13:52:19.229+05:30Comments on थोड़ी सी जमीं, थोडा आस्मां........: एक लेखक का एकांत _4shailjahttp://www.blogger.com/profile/13967930321980449500noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4795630986430691883.post-9439804405896953522013-09-07T09:23:57.903+05:302013-09-07T09:23:57.903+05:30....की अचानक ..इस रूट की सभी लाइने व्यस्त है के तर.......की अचानक ..इस रूट की सभी लाइने व्यस्त है के तर्ज पर ..तुम्हारा शहर दूसरी तरफ रुख कर लेता है .तुम्हारी आवाज दूर से भी नही आती ..<br />मैं वजह जानने की कोशिश में शिकायत करती हूँ ..तुम निर्णय सुनाते हो .<br />मौसम भी दस्तक देकर बदलता है साहेब ..चलो कोई बात नही ..<br /><br />तुमने अपने उदास दिनों में इन्हें चादर की तरह ओढा ..हां अब गर्मी है ..उतार फेकों ..चादरे यू भी ओढ़ी मोड़ी और सुखाई जाती है ..<br /><br />yah bilkul shashwat satya hai....khash taur se<br /><br />तुमने अपने उदास दिनों में इन्हें चादर की तरह ओढा ..हां अब गर्मी है ..उतार फेकों ..चादरे यू भी ओढ़ी मोड़ी और सुखाई जाती है ..<br />is line ke liye to ufffffffff main kya bolu.....?????Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4795630986430691883.post-79517615096709619932013-04-18T09:46:28.669+05:302013-04-18T09:46:28.669+05:30सफर मे बहुत कुछ मिलता है छूटता भी है ...अच्छा हो ब...सफर मे बहुत कुछ मिलता है छूटता भी है ...अच्छा हो बुरा हो ...यादों के रजिस्टर पर अपना विजिटिंग सिग्नेचर तो कर ही जाता है। Padm Singhhttps://www.blogger.com/profile/17831931258091822423noreply@blogger.com