उदास हो ?पता चल गया
तुम्हारी आवाज का बेगानापन
सब बता गया मुझे
ये छोटे भाई का उदास होना बड़ा अखरता है
सबके हिस्से का प्यार लेकर बड़े होते हैं ये
इनके जनम का महिना और तारिख जीतनी याद नही
उतना याद है उस साल देश दुनियां में होने वाली हलचल
घर में बातें ही ऐसे होती रहती
जिस बरस पैदा हुए थे तुम घर की आमदनी बढ़ी
रागिनी बुवा की शादी का साल था
सात साल बाद उस बरस खूब बारिश हुई थी
बाबा की पछिम टोला की बंजर जमीं पर धान की ओढ़नी फैली थी
अरे हाँ उसी साल घर में आई थी ना टी वी
जैसे तुम्हारे नही होने से रह जाती ये सारी घटनाएँ
वो आगे वाला नया कमरा भी उसी साल बना था भाई
अग्रेजी स्कूल में गये तुम सबसे महंगा बैग था तुम्हारा
तुम्हारे काले जूते को चमकाते और.. वो मांग निकाल कर तुम्हारा बाल बनाते हम
तुम्हारी धूरी पर तो थी घर की खुशियाँ
दुनियां कितनी भी बेरहम हो जाए
तुम्हारे लिए सबके प्यार की छाँव है ठौर है
सर्दियाँ छू ना पाए तुम्हें अम्मा ने तुम्हारे लिए
गरम कपड़ों में धूप सहेजी
घर के चौरे में हरियाली ..अपने आँखों में नदी
और अपने आँचल में अकूत प्यार
मायूसी और उदासी के बीच ही वो प्यार के मोती चमकते है
अब मुस्करा भी दो ..चलो उस तालाब के पास चलो
मैंने कागज की नाव बनानी सीख ली है
सच तुम्हारे रखे पत्थर का भी वजन उठा कर चलेगी
मैं बहती धारा में दूर बह जाउंगी पर जब पिछे देखूं तो तुम
ताली बजाते हँसते हुए दिखना..मंजूर ना ?
तुम्हारी आवाज का बेगानापन
सब बता गया मुझे
ये छोटे भाई का उदास होना बड़ा अखरता है
सबके हिस्से का प्यार लेकर बड़े होते हैं ये
इनके जनम का महिना और तारिख जीतनी याद नही
उतना याद है उस साल देश दुनियां में होने वाली हलचल
घर में बातें ही ऐसे होती रहती
जिस बरस पैदा हुए थे तुम घर की आमदनी बढ़ी
रागिनी बुवा की शादी का साल था
सात साल बाद उस बरस खूब बारिश हुई थी
बाबा की पछिम टोला की बंजर जमीं पर धान की ओढ़नी फैली थी
अरे हाँ उसी साल घर में आई थी ना टी वी
जैसे तुम्हारे नही होने से रह जाती ये सारी घटनाएँ
वो आगे वाला नया कमरा भी उसी साल बना था भाई
अग्रेजी स्कूल में गये तुम सबसे महंगा बैग था तुम्हारा
तुम्हारे काले जूते को चमकाते और.. वो मांग निकाल कर तुम्हारा बाल बनाते हम
तुम्हारी धूरी पर तो थी घर की खुशियाँ
दुनियां कितनी भी बेरहम हो जाए
तुम्हारे लिए सबके प्यार की छाँव है ठौर है
सर्दियाँ छू ना पाए तुम्हें अम्मा ने तुम्हारे लिए
गरम कपड़ों में धूप सहेजी
घर के चौरे में हरियाली ..अपने आँखों में नदी
और अपने आँचल में अकूत प्यार
मायूसी और उदासी के बीच ही वो प्यार के मोती चमकते है
अब मुस्करा भी दो ..चलो उस तालाब के पास चलो
मैंने कागज की नाव बनानी सीख ली है
सच तुम्हारे रखे पत्थर का भी वजन उठा कर चलेगी
मैं बहती धारा में दूर बह जाउंगी पर जब पिछे देखूं तो तुम
ताली बजाते हँसते हुए दिखना..मंजूर ना ?
it`s amazing....:-)
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