१
लड़की फटे चिटे कपड़ों में नही
फटे चिटे शरीर में
घूम रही है
जी रही है शायद
मर भी सकती है
उसकी लाश के आस पास
आंसुओं के खूब सारे
कैक्टस उगे है
अब उन जहरीले काँटों में
दो गुलाबी पत्ते मुस्करा रहे हैं
तुममे से ही कोई एक
फिर चिर डालेगा उसे .....
२
नोंच लो इस डोर से
उस डोर से
नोंच लो इस छोर से उस छोर से
इस गली की या
शहर के पार की हूँ
कट गई या काट दी जाऊं किसी दिन
एक लूटो या जमाना साथ ले लो
मैं किसी भी उम्र में
एक देंह हूँ बस ..तुम शिकारी
रंग के चिथड़े उड़ा कर
सांस भी लेते हो कैसे ?
कहते हैं हम सृष्टि की महान कृति हैं... लेकिन गिरने की कोई सीमा भी तो होती होगी।
ReplyDeleteऔरत तुम भी अजीब शय हो
ReplyDeleteतुम्हारे हजारों रूप है
किसी रूप मे माँ,बहन,बीवी,बेटी
तुम्हारे अंदर इतनी ममता भरी है की
तुम ज़िंदगी भर मर्द पर
अपनी ममता निछावर करती हो
मगर मर्द आखिर मर्द होता है
तुम्हें हर रूप मे तड़पने वाला
सिसकने वाला......बेएतबार
http://singhanita-anu.blogspot.in/2013/04/blog-post.html