Wednesday, April 17, 2013

एक लेखक का एकांत _4

अचानक आप दोस्त बन जाते हैं .और लगातार आपकी आवाज आस पास बनी रहती है .कभी भी कहीं भी ...क्या कर रही हो ?खाना खा लिया?धूप है बाहर मत जाना ..आज कौन सा रंग पहना ..तुम्हारे शहर में मेला लगा ..भीड में खो जाने का डर तुम्हारे शहर को है ..मैं एक ऐसे रिश्ते के साथ चुपचाप बह रही हूँ..

मेरा दुःख उसका ..मेरे गाने की मिठास से मीठी हो गई उसके सुबह की चाय ..उसे नही पता कई बार कितनी विकट स्थितियों में मैंने उससे बात की ..वजह की वो उदास न हो जाए ..उसने मेरे दुःख में मेरा होकर उपवास रखा ..मेरी मुस्कराहट में भींग कर अपने दिन की शुरुवात की .अब अधिकार से बातें कही जाने लगी ..की तुम्हें नही तो किसे बताऊ ....

मैं लगातार समझ रही हूँ ..तुम्हारा होना ..अपना खोना ..की अचानक ..इस रूट की सभी लाइने व्यस्त है के तर्ज पर ..तुम्हारा शहर दूसरी तरफ रुख कर लेता है .तुम्हारी आवाज दूर से भी नही आती ..अचानक उग आये है तमाम कोमल पौधे तुम्हारे आस पास जिसकी परवरिश करनी है तुम्हें ..मैं धूप में हूँ ..मेरे चुप्पी में टूटती है एक और चुप्पी ..सब बेआवाज ..

मैं वजह जानने की कोशिश में शिकायत करती हूँ ..तुम निर्णय सुनाते हो ...लगातार काम है मेरे पास व्यस्त हूँ ...

मौसम भी दस्तक देकर बदलता है साहेब ..चलो कोई बात नही ..

कुछ लोग पैदा होते है दूसरों का एकांत पाटने के लिए ..दर्द सोखने के लिए ..मेरे गाने में मिठास है .मेरी आँखें खूब छोटी पर गहरी है ...बात में नमक है ..तुमने अपने उदास दिनों में इन्हें चादर की तरह ओढा ..हां अब गर्मी है ..उतार फेकों ..चादरे यू भी ओढ़ी मोड़ी और सुखाई जाती है ..

2 comments:

  1. सफर मे बहुत कुछ मिलता है छूटता भी है ...अच्छा हो बुरा हो ...यादों के रजिस्टर पर अपना विजिटिंग सिग्नेचर तो कर ही जाता है।

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  2. ....की अचानक ..इस रूट की सभी लाइने व्यस्त है के तर्ज पर ..तुम्हारा शहर दूसरी तरफ रुख कर लेता है .तुम्हारी आवाज दूर से भी नही आती ..
    मैं वजह जानने की कोशिश में शिकायत करती हूँ ..तुम निर्णय सुनाते हो .
    मौसम भी दस्तक देकर बदलता है साहेब ..चलो कोई बात नही ..

    तुमने अपने उदास दिनों में इन्हें चादर की तरह ओढा ..हां अब गर्मी है ..उतार फेकों ..चादरे यू भी ओढ़ी मोड़ी और सुखाई जाती है ..

    yah bilkul shashwat satya hai....khash taur se

    तुमने अपने उदास दिनों में इन्हें चादर की तरह ओढा ..हां अब गर्मी है ..उतार फेकों ..चादरे यू भी ओढ़ी मोड़ी और सुखाई जाती है ..
    is line ke liye to ufffffffff main kya bolu.....?????

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