पास की नजर ख़राब है
समाचार पत्र को आँख के
पास ला के देखते है
पढ़ते हैं शायद
मुझे लगा अब वो चीजों को
दूर करने से डरते हैं
जैसे पास ही रखे स्टूल को खीचते है बार बार
बार बार दवाइयों की ख़तम होती पन्नी को
देखते हैं दबा दबा कर
अब नही हटती मच्छरदानी कभी चौकी से
एक तरफ से उठा रहता है परदा
फिर भी जाली जाली सा दिखता है
लगा मुझे मलते हैं आँख और भुनभुनाते से हैं
सिरहाने रखे बचे पैसों को
बेचैन होकर गिनते है
जमीन पर गिर पड़े सिक्के को
आवाज के साथ नाचते हुए देखते हैं
फिर खीच सरका के लाते हैं पास
वो पास खीच लाना चाहते हैं
अपने बेटे की आवाज
अपनी बहू की फिकर
अपने पोता पोतियों के खिलौने
अब वो दिवार के बहुत पास हैं
सुनते है आहटों को जो दूर होती जा रही हैं
जमीन के पास है पैर धंसा के चलते से
उदास एकांत की सीटियों से कांपते है
अब आसमान ताकते हैं
आजकल वो अपने आसपास ही रहते हैं
हाँ भाई वो दूर होने से बड़ा डरते हैं ....
समाचार पत्र को आँख के
पास ला के देखते है
पढ़ते हैं शायद
मुझे लगा अब वो चीजों को
दूर करने से डरते हैं
जैसे पास ही रखे स्टूल को खीचते है बार बार
बार बार दवाइयों की ख़तम होती पन्नी को
देखते हैं दबा दबा कर
अब नही हटती मच्छरदानी कभी चौकी से
एक तरफ से उठा रहता है परदा
फिर भी जाली जाली सा दिखता है
लगा मुझे मलते हैं आँख और भुनभुनाते से हैं
सिरहाने रखे बचे पैसों को
बेचैन होकर गिनते है
जमीन पर गिर पड़े सिक्के को
आवाज के साथ नाचते हुए देखते हैं
फिर खीच सरका के लाते हैं पास
वो पास खीच लाना चाहते हैं
अपने बेटे की आवाज
अपनी बहू की फिकर
अपने पोता पोतियों के खिलौने
अब वो दिवार के बहुत पास हैं
सुनते है आहटों को जो दूर होती जा रही हैं
जमीन के पास है पैर धंसा के चलते से
उदास एकांत की सीटियों से कांपते है
अब आसमान ताकते हैं
आजकल वो अपने आसपास ही रहते हैं
हाँ भाई वो दूर होने से बड़ा डरते हैं ....